पत्रकार आशुतोष की हत्या को मणिशंकर सिन्हा ने बताया कलम को कुचलने का कुत्सित प्रयास

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सोनभद्र । भारतीय पत्रकार सुरक्षा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मणि शंकर सिन्हा ने जौनपुर के पत्रकार आशुतोष श्रीवास्तव की हत्या पर गहरा दु:ख प्रकट करते हुए इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह खूनी वारदात कलम को कुचलने का सुनयोजित और कुत्सित प्रयास है, जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग करते हैं कि दोषियों को अबिलंब गिरफ्तार कर उन्हें फांसी की सजा दिलाई जाए।
उन्होंने बताया कि पत्रकार आशुतोष श्रीवास्तव (48) जौनपुर जिला के थाना कोतवाली शाहगंज के गांव सबरहद के रहने वाले थे। वह एक हिंदुवादी नेता थे। पत्रकारिता करने के साथ-साथ विश्व हिंदू परिषद और भाजपा से भी जुड़े हुए थे।

गोवंश की तस्करी रोकने और आरटीआई एक्टिविस्ट के रूप में भी उनको जाना जाता था। इसके अलावा कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से भी वह जुड़े हुए थे।
उल्लेखनीय है कि आशुतोष श्रीवास्तव की सोमवार 13 मई की सुबह करीब साढ़े नौ बजे इमरानगंज जिला मुख्यालय मार्ग पर बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। वारदात के समय आशुतोष घर से अपनी बुलेट मोटरसाइकिल से उसरहटा गांव में आयोजित लोकसभा चुनाव प्रचार संबंधी कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे।

घर से करीब एक किलोमीटर दूर इमरानगंज बाजार पहुंचे तो बाइक रोककर आशुतोष श्रीवास्तव किसी से मोबाइल पर बात करने लगे, तभी अपाचे बाइक सवार दो नकाबपोश बदमाश आए और ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दी। आशुतोष श्रीवास्तव के सीने और पेट में चार गोलियां लगीं, जिससे वह लहूलुहान होकर गिर पड़े।
आशुतोष की पत्नी कल्पना का रो रोकर बुरा हाल है। एक बेटा सार्थक 13 साल का है। आशुतोष के छोटे भाई की पत्नी डॉली श्रीवास्तव के अनुसार, आशुतोष गो तस्करों और भू-माफिया के खिलाफ खबरें लिखते रहे हैं, जिसे लेकर माफिया नाराज चल रहा था। अन्य परिजनों ने भी आशंका जताई है कि आशुतोष की हत्या के पीछे यह एक बड़ी वजह भूमाफिया हो सकते हैं। वहीं पुलिस अधीक्षक डॉ अजय पाल शर्मा ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला आपसी रंजिश का लग रहा है। मृतक आशुतोष के पर भी कई मुकदमे दर्ज हैं।

कातिलों की गिरफ्तारी के लिए पांच टीमें गठित की गई हैं। कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की जा रही है। हर पहलू से हम जांच कर रहे हैं। जो भी दोषी होगा, किसी कीमत पर बख्सा नहीं जाएगा।
उधर मणिशंकर सिन्हा का कहना है कि घटना से करीब 10 दिन पहले आशुतोष ने शाहगंज कोतवाली जाकर पुलिस को बताया था कि उनकी जान को खतरा है। उन्होंने सुरक्षा की मांग की थी लेकिन पुलिस ने लापरवाही बरती।

वह कहते हैं, अगर पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेती तो शायद आज एक और पत्रकार की हत्या न होती। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्काल कार्यवाही करने की मांग की है।

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