प्रधानमंत्री समेत 28 के खिलाफ परिवाद खारिज

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अदालत ने माना कि वाद सुनवाई के लिए पोषणीय नहीं

वाराणसी। कोरोना महामारी को लेकर बनाई गई वैक्सीन से हो रहे साइड इफेक्ट को लेकर दाखिल परिवाद में वाद पोषणीय नहीं होने के चलते परिवाद को खारिज कर दिया। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/(एमपी-एमएलए कोर्ट) की अदालत में दाखिल इस याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्रोजेन कंपनी, और उसके चेयरमैन समेत 28 लोगों को विपक्षी बनाया गया था।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रधानमंत्री का पद एक लोक सेवक का पद है और इस पद पर आसीन नरेंद्र मोदी द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में किये गए है, इसलिए उनके विरुद्ध कोई भी विधिक कार्यवाही करने से पूर्व अभियोजन स्वीकृति अनिवार्य है और परिवादी द्वारा ऐसी कोई अभियोजन स्वीकृति प्रस्तुत नहीं किया है। ऐसे परिवादी का वाद पोषणीय नहीं है और खारिज किये जाने योग्य है।

प्रकरण के अनुसार युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व अधिवक्ता विकास सिंह ने अपने अधिवक्ता गोपाल कृष्ण के माध्यम से कोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्रोजेन कंपनी, और उसके चेयरमैन समेत सभी 28 विपक्षीगणों ने आपस में मिलीभगत करते हुए बिना किसी परीक्षण के कोविड शील्ड नामक दवा बनाकर लोगों को भय दिखाकर कोरोना वैक्सीन बताकर लोगों को जबरन लगवाए और उससे लाभ अर्जित किए।

साथ ही वैक्सीन बनाने वाली कंपनी द्वारा प्रधानमंत्री को उस लाभ में हिस्सेदार बनाते हुए उन्हें चंदा के रूप में कंपनी द्वारा अर्जित लाभांस दिया गया। याचिका में यह भी आरोप है कि विपक्षीगणो द्वारा यह जानते हुए कि इस दवा का साइड इफेक्ट्स होगा, लोगों को जानबूझकर मौत के मुंह में धकेला गया। इस मामले की जानकारी होने पर युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष द्वारा याचिका कोर्ट में दाखिल की गई है।

याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायहित और लोक हित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी 28 विपक्षीगण को बतौर अभियुक्त तलब कर उन्हे दंडित किया जाय। साथ ही यह भी मांग की गई है कि इस मामले में जितने भी लोग इस दवा के साइड इफेक्ट से पीड़ित है सभी को क्षतिपूर्ति दिलाई जाय।

वहीं इस संबंध में युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि न्यायालय का आदेश सर्वमान्य है। न्यायालय के निर्णय पर कोई टिपण्णी किये बगैर उन्होंने कहा कि कानून के खिलाफ कार्य करने वालों के खिलाफ उनकी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।

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