राम वियोग में टूटा हृदय, महाराज दशरथ का निधन

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वीरेंद्र नाथ संवाददाता

रेणुकूट (सोनभद्र)। हिंडाल्को रेणुकूट की रामलीला के पांचवें दिन प्रभु श्रीराम की वनगमन लीला और केवट प्रसंग का मंचन किया गया। लीला का शुभारंभ हिंडाल्को हॉस्पिटल के डॉक्टर अजय गुगलानी, डॉक्टर
मोनिका गुगलानी, डॉक्टर शोभित श्रीवास्तव एवं डॉक्टर राकेश रंजन, डॉक्टर प्रेमलता द्वारा श्री गणेश जी की आरती कर किया गया।
मंचन के शुरुआत में दिखाया गया कि कैसे कैकयी के दो वरदानों के कारण महाराज दशरथ दुखी होकर राम को वनवास भेजते हैं। जिसके कारण पुत्र वियोग में उनकी मृत्यु हो जाती है।

राम-सीता और लक्ष्मण के साथ वनगमन का दृश्य मंच पर आते ही दर्शकों की आंखें नम हो गईं। राम-लक्ष्मण और सीता के वन जाते समय रास्ते में उनके मित्र निषाद राज से उनकी मुलाकात होती है।

निषाद राज ने प्रभु श्री राम का बहुत आदर सत्कार किया। इसके बाद मंचन में केवट प्रसंग दिखाया गया। जब प्रभु श्रीराम गंगा पार कराने के लिए नाव मांगते हैं तो केवट बड़ी विनम्रता से कहते हैं— “प्रभु! पहले आपके चरण धोए जाएंगे, तभी नाव में बैठा पाऊंगा।”

इस अद्भुत संवाद को सुनकर मंच पर मौजूद हर कोई भावविभोर हो उठा। भरत और शत्रुघ्न ननिहाल से अयोध्या लौटते हैं। वहां उन्हें राम, सीता और लक्ष्मण के वनवास और पिता दशरथ के निधन का समाचार मिलता है।
भरत और माता कैकई के बीच तीव्र वाद-विवाद होता है। इसके बाद भरत तीनों माताओं, ऋषि वशिष्ठ और नागरिकों के साथ चित्रकूट जाते हैं। राम-भरत मिलाप का दृश्य भावुक रहा। दोनों भाई एक-दूसरे को गले लगाकर रो पड़े।

रामलीला की इस प्रस्तुति में बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने कलाकारों के अभिनय की सराहना की। छठे दिन की लीला में शूर्पणखा नासिका भंग, सीता हरण, सुग्रीव राम मित्रता का मंचन होगा।

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