यूपी में दुष्कर्म मामले में अब तक की सबसे बड़ी सजा; ये फैसले बने आधार
सोनभद्र में किशोरी से दुष्कर्म के मामले में दोषी भाजपा विधायक रामदुलार गोंड के खिलाफ पीड़ित परिवार ने लंबी कानूनी लड़ी है।
करीब नौ साल तक मामला अदालत में चला। इस दौरान 300 से अधिक तारीखें पड़ीं। आरोपी पक्ष की ओर से कई बार अदालत को गुमराह करने की भी कोशिश हुई।
फर्जी जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर पीड़िता को बालिग साबित करने का प्रयास हुआ तो विवेचना के दौरान भी कई त्रुटियां बरती गईं, जिससे संदेह का लाभ आरोपी को मिल जाए।
हालांकि सत्य की कसौटी पर कोई भी दलील खरी नहीं उतरी। अदालत ने सभी को खारिज करते हुए दोषी विधायक को सख्त सजा सुनाई।
दुष्कर्म के मामले में किसी विधायक को 25 वर्ष की सजा जिले में अब तक की सबसे बड़ी मानी जा रही है। दरअसल, चार नवंबर 2014 को जब म्योरपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था, तब आरोपी रामदुलार की पत्नी गांव की प्रधान थी।
बचाव पक्ष ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि मारपीट के एक मामले में पंचायत करने के कारण रंजिशन प्रधान के पति के विरुद्ध झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया।
इसके माध्यम से वैमनस्यता साधने की कोशिश हुई। पूर्व में उनकी ओर से एससी-एसटी का मुकदमा भी पीड़ित परिवार पर दर्ज कराया था।
अदालत ने इस तर्क के साथ दलील खारिज कर दी कि भारतीय समाज में कोई भी पिता सिर्फ एक विवाद के कारण अपनी बेटी की इज्जत को दांव नहीं लगाएगा और किसी के खिलाफ झूठा मुकदमा नहीं दर्ज कराएगा।
भारतीय परिवेश में स्त्री की इज्जत ही सर्वोपरी है और कोई स्त्री भी सिर्फ अपने पिता की रंजिश के लिए किसी पर ऐसे आरोप नहीं लगाएगी।
