— पूरे देश मे पावर कैपिटल के नाम से मशहूर है सिंगरौली एवं सोनभद्र का उर्जाचंल क्षेत्र
— एनजीटी के नियमों की खुलेआम उड़ाई जा रही धज्जियां
रेणुकूट (सोनभद्र) : देश में पावर कैपिटल के नाम से मशहूर शहर जो कि (उर्जाचंल के नाम से भी जाना जाता है)मध्य-प्रदेश के सिंगरौली और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र को कहा जाता है।जैसा की कहावत कहा गया है कि तू डाल-डाल तो मै पात-पात। यह कहावत ठीक यहां पर सटीक बैठती है ,जैसा कि उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के बॉर्डर स्थित है बलियानाला। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यहां पर स्थित कोल माइंस के परियोजना का प्रदूषित पानी बलियानाला मे सीधे तौर पर छोड़ा जा रहा है जो कि यह रिहंद जलाशय में जाकर गिरता है। यहां पर एनजीटी एवं पर्यावरण के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिसका खामियाजा इस क्षेत्र के रहवाशी ,ग्रीमीणो और यहां की भोली भाली जनता को सीधे तौर पर भुगतना पड़ रहा है। जहां एक ओर सरकार देश में पर्यावरण की बात कर रही है,वही दूसरी ओर इस क्षेत्र मे एनजीटी एवं पर्यावरण के नियमों की सीधे तौर पर अनदेखी की जा रही है।इस क्षेत्र मे पर्यावरण कार्यकर्ताओ के द्वारा एनजीटी मे जनहित याचिका भी दायर किया जा चुका गया है। बावजूद इसके पर्यावरण के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कुछ साल पहले एनजीटी की टीम भी यहां पर आकर दौरा भी किया था, और पानी के नमूने की जांच एवं सैंपल भेजी जा चुकी है। जिसमें यहाँ के पानी में आर्सेनिक, मरकरी, फ्लोराइड की मात्रा अत्यधिक पाई गई थी,जिससे कि चर्म रोग,शुगर, बीपी जैसी गंभीर बीमारिया लोगो मे पायी गई। यहाँ के प्रदूषित पानी होने के कारण म्योरपुर ब्लॉक क्षेत्र के विभिन्न गांव- जैसे गोविंदपुर,गंभीरपुर कुशमहा, खैराही,किरवानी रासपहरी,बराईडांड़,डडीहरा,बोदराडांङ,रनटोला और दोनों जिलों के सैकड़ो गांव ऐसे हैं।आरटीआई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत मिश्रा ने बताया कि शक्तिनगर क्षेत्र के ग्राम पंचायत चिल्काडांड़ मे भी पानी में अत्यधिक फ्लोराइड होने के कारण ग्रामीण अपंगता के शिकार हो चुके हैं । यहां के आदिवासी समाज के लोग कुआं, रिहंद जलाशय की मछली का सेवन करते एवं पानी पीते है,जिससे यहां के पानी मे फ्लोराइड, आर्सेनिक, मर्करी पाए जाने के कारण, यहाँ के लोगो को चर्म रोग,अपंगता इत्यादि बीमारी का शिकार होना पड़ रहा है। म्योरपुर ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम पंचायत कुशमहां में दर्जनों परिवार अपंगता के शिकार हो गए हैं यहां के पानी में अत्यधिक फ्लोराइड होने के कारण एवं अन्य दो तत्व आर्सेनिक और मरकरी जो कि पानी में पाया गया है उसके कारण यहां के सैकड़ो परिवार अपंग हो चुके हैं और कई परिवार के लोग अपंग होने की कगार पर हैं।यहां की परियोजनाओं से निकलने वाले कोयले के धूल एवं राखड़ से किलर रोड के नाम से विख्यात शक्तिनगर-वाराणसी राजमार्ग मे भी आए दिन दुर्घटना एवं सड़क पर दुर्घटना होते हैं जिससे इस मार्ग पर कई घरो के चिराग बूझ जाते।
म्योरपुर क्षेत्र के पर्यावरण कार्यकर्ता जगत नारायण विश्वकर्मा ने एनजीटी मे जनहित याचिका भी दायर की थी । विश्वकर्मा ने बताया कि यह क्षेत्र पूरे देश में प्रदूषित होने के मामले में तीसरे नंबर पर आ चुका है ,अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आगे चलकर परिणाम बहुत ही कष्टदायक होने वाला है जिसका खामियाजा यहां के भोली-भाली जनता, इस क्षेत्र की परियोजना मे कार्य करने वाले लोग एवं रहवासियों को आने वाले समय में बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
