“कुकरमुत्ता राजनैतिक, सामाजिक संगठनों से सावधान, सही नेतृत्व का करें स्वागत”

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“नए राजनीति और सामाजिक संगठन : बदलाव की किरण या पद की दौड़?”
“समाज को चाहिए विज़न, न कि पद की होड़”


इन्दौर (मध्य प्रदेश) : आजकल समाज में पद और प्रतिष्ठा पाने की लालसा इतनी बढ़ गई है कि आए दिन नए-नए राजनीति एवं सामाजिक संगठन कुकरमुत्तों की तरह जन्म ले रहे हैं। इन संगठनों का अधिकांश हिस्सा केवल नाम और पद की होड़ में उलझकर समाज को फायदा पहुँचाने के बजाय नुकसान पहुँचा देता है। कई लोग इनके बहकावे में आकर चुनाव लड़ बैठते हैं, नतीजा—जमानत ज़ब्त, परिवार की संपत्ति नष्ट और खुद अवसाद में डूबते हुए।
कुछ राजनीतिक सामाजिक संगठन तो अपने समाज के ही लोगों को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं, और लोग इस मुग़ालते में फँस जाते हैं कि समाज का समर्थन उन्हें स्वतः मिल जाएगा। पर सच्चाई यह है कि ऐसे प्रयास अक्सर अपमान और जिल्लत में ही बदल जाते हैं।
भिलाई निवासी श्री राजेंद्र कर्ण से बातचीत
🟦 प्रश्न : क्या हर नया राजनीति सामाजिक संगठन समाज के लिए उपयोगी होता है?
राजेंद्र जी :- “नहीं। पद बाँटने की होड़ में बने राजनीति सामाजिक संगठन समाज के लिए बोझ हैं। ऐसे संगठन थोड़े समय में ही बिखर जाते हैं।”
🟦 प्रश्न : फिर देश और समाज को किस तरह के संगठनों का समर्थन करना चाहिए?
राजेंद्र जी :- “जो राजनीतिक सामाजिक संगठन ईमानदारी, स्पष्ट विज़न और समाजहित की ठोस योजना लेकर आते हैं, वही असली बदलाव की नींव रखते हैं। फर्क सिर्फ नीयत और कार्यशैली का होता है।” राजेंद्र जी की बात में बहुत दम था, मेरे ख्याल से प्रत्येक समाज और राष्ट्रीय हितेषी यही सोचता है।
लेकिन यह भी उतना ही सच है कि हर नया संगठन बुरा नहीं होता। यदि कोई संगठन स्पष्ट विज़न, योग्य नेतृत्व और समाज-राष्ट्र के लिए ठोस योजना लेकर आता है, तो उसका स्वागत अवश्य होना चाहिए। वही संगठन भविष्य में परिवर्तन और प्रगति की नींव रख सकते हैं।
इसलिए ज़रूरत है कि समाज सतर्क रहे — खोखले राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों से दूरी बनाए, और सच्चे उद्देश्य वाले संगठनों को प्रोत्साहन दे।
पद तभी सार्थक है, जब वह समाज को जोड़ने और देश को सशक्त बनाने में काम आए।
🔹 खोखले संगठन से सावधान रहें – पद पाने की होड़ में बने संगठन समाज का भला नहीं करते, उल्टा नुकसान कर जाते हैं।
🔹 मुग़ालते से बचें – केवल “समाज का समर्थन मिलेगा” सोचकर चुनाव लड़ना विनाशकारी हो सकता है; जमानत ज़ब्त और संपत्ति नष्ट होना आम परिणाम है।
🔹 सही संगठन को पहचानें – बड़ा विज़न, योग्य नेतृत्व और समाज-देश के लिए ठोस योजनाओं वाले संगठनों का ही समर्थन करें।
अंत में मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा :
“ कोई भी राजनीतिक सामाजिक संगठन बनाना आसान है, लेकिन समाज का विश्वास पाना कठिन; वरना कुकरमुत्ता तो एक रात में भी उग आता है।”
✍️ राजेश निगम, इंदौर
(मध्य प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष)
भारतीय पत्रकार सुरक्षा परिषद
एवं
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा
(मध्य प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष)

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